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About Me

विनय मिश्र हिंदी के प्रतिनिधि कवि हैं।उनका सृजन संदर्भ अपने तमाम समकालीन सवालों और सरोकारों से बना है।उनकी दृष्टि एक भारतीय कवि की स्वाधीनचेता दृष्टि है। उनकी कविताओं में एक नया भाव बोध, एक नई सांस्कृतिक चेतना और मूल्यपरक संघर्ष दृष्टि का उन्मेष है। साहित्य, परंपरा और संस्कृति से सुपरिचित विनय मिश्र की कविताएंँ एक नया अनुभव लोक निर्मित करती हैं जहांँ अपने समय का यथार्थ एक गहरी दीप्ति के साथ उपस्थित है। उनकी कृतियों से अपने समय की पहचान सहजता से हो जाती है क्योंकि वे जीवन और सर्जना के हर स्तर पर गहरे अन्वेषण के कवि हैं।


उनके अब तक पांँच काव्य संग्रह प्रकाशित हैं। जिनमें एक कविता संग्रह( सूरज तो अपने हिसाब से निकलेगा) एक गीत संग्रह (समय की आंँख नम है) एक दोहा संग्रह( इस पानी में आग) और दो ग़ज़ल संग्रह ("सच और है" और "तेरा होना तलाशूँ") प्रकाशित हो चुके हैं। अनेक संपादित और चयनित काव्य संकलनों में उनकी रचनाएंँ शामिल हैं। उन्होंने ग़ज़ल और उसकी आलोचना को लेकर कई महत्वपूर्ण पत्रिकाओं के विशेषांक संपादित किए हैं। उन्होंने स्वयं "बनारस की हिंदी ग़ज़ल", "पलाश वन दहकते हैं", "जहीर कुरैशी: महत्व और मूल्यांकन"  और अन्य पुस्तकों का संपादन किया है एवं पिछले चार दशकों में हिंदी की सभी महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में उनकी हजारों कविताएंँ एवं आलेख प्रकाशित हुए हैं । वे समग्र कविता के हिमायती हैं और हिंदी कविता के सभी समकालीन काव्यरूपों में एक प्रतिनिधि के रूप में उनकी उपस्थिति है।

कवि की कलम से

आलोचना

समकालीन ग़ज़ल और विनय मिश्र

विनय मिश्र हिंदी कविता में कुछ नया जोड़कर उसकी परिधि का विस्तार कर रहे हैं। मध्यवर्गीय भाव बोध में जकड़ी वर्तमान हिंदी कविता को वे उसकी जकड़न से मुक्त होने का नया मार्ग दिखा रहे हैं। "समकालीन ग़ज़ल और विनय मिश्र" पुस्तक विनय मिश्र की ग़ज़लों के बहाने ग़ज़ल आलोचना को विकसित करने का एक विनम्र प्रयास है।

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